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कौन हैं तुकाराम मुंढे? 20 साल में 24 ट्रांसफर, अब पुणे लैंड डील में क्यों उछला नाम?

AS Story: महाराष्‍ट्र में इनदिनों लैंड डील का मामला सुर्खियों में हैं

 

 

IAS Story: महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों पुणे लैंड डील का मामला गरमाया हुआ है, जिसमें डिप्टी सीएम अजित पवार के बेटे पार्थ का नाम है. 40 एकड़ की सरकारी जमीन को महज 300 करोड़ में बेचे जाने का शक था, जबकि मार्केट वैल्यू 1800 करोड़ बताई जा रही थी. स्टैंप ड्यूटी में भी 21 करोड़ का छूट का मामला था.इस पूरे घोटाले के बाद एक आईएएस का नाम एक बार फ‍िर सुर्खियों में है.ये आईएएस अधिकारी हैं तुकाराम मुंढे ( IAS Tukaram Mundhe). तुकाराम अपनी ईमानदारी के लिए मशहूर हैं. असल में विपक्ष की मांग है कि इस पूरे मामले की जांच तुकाराम से कराई जाए जिसके बाद वह चर्चा में हैं.बताया जाता है कि अपनी ईमानदारी के कारण ही 20 साल की नौकरी में अब तक तुकाराम का 24 बार ट्रांसफर हो चुका है.आइए जानते हैं तुकाराम मुंढे कौन हैं? इस केस में क्यों उनकी सिफारिश हुई?

Who is IAS Tukaram Mundhe: तुकाराम मुंढे कौन हैं?

तुकाराम मुंढे महाराष्ट्र कैडर के 2005 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. मुंढे का जन्म 3 जून 1975 को महाराष्ट्र के बीड़ जिले के छोटे से गांव टडसोना में हुआ. वह वंजारी कम्युनिटी से हैं जो OBC कैटेगरी में आती है. उनका बचपन गरीबी में बीता. पिता किसान थे.स्कूल से लौटने के बाद वह खेतों में पिता की मदद करते थे.सब्जियां उगाकर बाजार ले जाकर बेचते थे, लेकिन 10वीं के बाद उनकी जिंदगी बदली.वह 10वीं के बाद रिश्तेदारों के घर औरंगाबाद शिफ्ट हुए. वहां से कॉलेज की पढ़ाई की. तुकाराम ने 1996 में हिस्ट्री से BA किया. फिर मुंबई जाकर पॉलिटिकल साइंस में MA किया. इसके बाद UPSC की तैयारी शुरू की.पहली बार में उन्‍हें सफलता नहीं मिली और वह फेल हो गए, लेकिन हार नही मानी. आखिरकार 2005 में उनकी मेहनत रंग लाई और वह यूपीएससी सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास करके IAS बन गए.उनकी पहली पोस्टिंग सोलापुर में सब-कलेक्टर के तौर पर हुई.वहां अवैध शराब के ठिकानों पर रेड मारकर उन्‍होंने हंगामा मचा दिया.उनकी उम्र तकरीबन 50 साल है, लेकिन 20 साल की आईएएस की नौकरी में उनका 24वां ट्रांसफर हो चुका है.बताया जाता है कि वह अपने सख्त फैसलों की वजह से नेताओं-माफिया के निशाने पर रहते हैं.जनवरी 2025 में नेशनल हेल्थ मिशन का चार्ज मिला था, लेकिन अगस्त 2025 में फिर शिफ्ट हो गए.अब मुंबई में दिव्यांग कल्याण विभाग के सेक्रेटरी हैं.इससे पहले अनऑर्गनाइज्ड वर्कर्स के डेवलपमेंट कमिश्नर थे.उनकी ट्रांसफर लिस्ट देखकर लगता है कि उन्‍हें हर दो-तीन साल में नई जगह और नई जिम्मेदारी मिलती रही. कुल मिलाकर 24 अलग-अलग पोस्टिंग्स हुईं.उनकी तुलना हरियाणा के अशोक खेमका से की जाती है. असल में अशोक खेमका का भी 57 बार ट्रांसफर किया गया था.

IAS Transfer: 20 साल में 24 ट्रांसफर

तुकाराम मुंढे के प्रशासनिक करियर की शुरुआत 2005 में सोलापुर से हुई जहां वो ट्रेनी सब-कलेक्टर थे और दो साल बाद शिफ्ट हो गए. उसके बाद डेगलुर सबडिविजन में डिप्टी डीएम बने. फिर नागपुर जिला परिषद के सीईओ रहे. ट्राइबल डिपार्टमेंट में कमिश्नर की कुर्सी संभाली. वाशिम और कल्याण में सीईओ का काम किया. बाद में वह जालना में डीएम बने. मुंबई में सेल्स टैक्स के असिस्टेंट कमिश्नर रहे. 2014 में फिर सोलापुर डीएम के तौर पर उन्‍होंने काम संभाला. इसके बाद 2016 में नवी मुंबई म्यूनिसिपल कमिश्नर बने और यहां उन्होंने कमिश्नर मॉर्निंग वॉक शुरू की जिसमें सुबह पार्क में लोग आते थे और अपनी शिकायतें बताते थे तो वो तुरंत सॉल्व कर देते थे. 2017 में पुणे पीएमपीएल के सीईओ बने. 2018 में नासिक म्यूनिसिपल कमिश्नर रहे, जहां आदिवासी इलाकों में खूब मदद की और आषाढ़ी वारी के लिए तीन हजार शौचालय बनवाए. साथ ही वीआईपी दर्शन बंद करवा दिया.फिर प्लानिंग डिपार्टमेंट में जॉइंट सेक्रेटरी बने. मुंबई में एड्स कंट्रोल प्रोजेक्ट के ऑफिसर रहे. 2020 में नागपुर म्यूनिसिपल कमिश्नर बने. महाराष्ट्र लाइफ अथॉरिटी में मेंबर सेक्रेटरी का पद संभाला. 2021 में नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन पहुंचे. 2022 में हेल्थ सर्विसेज कमिश्नर बने और अब 2025 में दिव्यांग कल्याण सेक्रेटरी हैं. हर जगह उन्होंने अपनी छाप छोड़ी. उस समय भी वह सुर्खियों में रहे जब नांदेड़ में स्कूल विजिट के दौरान अनुपस्थित टीचर्स को सस्पेंड कर दिया जिससे टीचर्स की गैरहाजिरी दस प्रतिशत से घटकर एक प्रतिशत रह गई.

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