Breaking Newsउत्तर प्रदेशराष्ट्रीय
फीस माफी अभियान पर मिला अभिभावकों का मिला साथ
फीस माफी अभियान पर मिला अभिभावकों का मिला साथ

ऑल स्कूल पेरेंट्स एसोसिएशन द्वारा लॉकडाउन अवधि फ़ीस माफ़ी की मांग को लेकर चलाए जा रहे ट्विटर अभियान के आठवें चरण में किए गए ट्वीट में दोहपर 3.35 बजे तक #नोस्कूलनोफ़ीस(#Noschoolnofee) 18.3 K व #डिस्क्लोज बैलेंस शीट(Disclose Balance Sheet=) के 16.3k ट्वीट किए गए।
पूर्व की ही भांति आज के ट्वीट भी प्रधानमंत्री कार्यलय, नरेंद्र मोदी, मानव संसाधन विकास मंत्री, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश व मुख्यमंत्री कार्यलय को मेंशन करके किए गए थे।
जिनमें ”सैलरी कटी, नौकरी गयी और जमा पूंजी खत्म, अब ऐसे में स्कूलो के लिए फ़ीस कहा से लाए हम “कोरोना की महामारी, आमदनी शून्य हो गयी हमारी, अभिभावकों की गुहार नोस्कूल नो फ़ीस पर निर्णय ले सरकार, “बन्द है कारोबार हमारा इस लिए नो स्कूलो नो फ़ीस है नारा” स्कूल बन गए शिक्षा का धंधा,इस महामारी में निकालो हमारे गले से फ़ीस का फंदा जैसे सलग्नो का उपयोग किया गया था।
ऑल स्कूल पेरेंट्स एसोसिएशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवानी जैन व राष्ट्रीय महासचिव सचिन सोनी ने कहा कि शासन का आदेश होने के बाद भी स्कूल लगातार फ़ीस जमा करने का दबाव अभिभावकों पर बना रहे है। जोकि उचित नही है। उन्होंने कहा कि तारीफ़ करनी होगी जिला अधिकारी की जिन्होंने की स्कूल फ़ीस मुद्दे को गम्भीर समझते हुए स्कूल संचालकों व पेरेंट्स प्रतिनिधियों की अलग-अलग मीटिंग आयोजित कर वास्तविक स्थिति को समझने व उसका हल निकालने की पहल की। लेकिन स्कूल संचालकों ने उन्हें अपनी तरफ से बरगलाने की पूरी कोशिश की स्कूल संचालकों ने टीचर्स, स्टाफ़ सैलरी, बैंक क़िस्त व ऑनलाइन क्लास का हवाला देकर फ़ीस जमा कराने की मांग जिला अधिकारी महोदय के समक्ष रखी।
लेकिन जब पेरेंट्स प्रतिनिधियों ने उन्हें अवगत कराया कि सभी स्कूलो के पास करोड़ो रूपये का रिजर्व फंड होता है।जोकि पेरेंट्स द्वारा ही दिया गया है। जिसे की वर्तमान हैल्थ एमरजेंसी में उपयोग में नही लाया जाएगा तो आखिर कब लाया जाएगा। जिला अधिकारी को अवगत कराया गया कि जिला शुल्क नियामक समिति के समक्ष जिन स्कूलो ने अपने रिकॉर्डर जमा कराए है। उनकी जाँच करा ली जाए की किस स्कूल के पास कितना रिजर्व फंड है। उसका उपयोग कर टीचर्स/स्टाफ़ की सैलरी व बाकी के खर्चो को पूरा किया जाए। जिला अधिकारी महोदय पेरेंट्स प्रतिनधियों के सुझाव से सहमत नजर आए तथा उन्होंने सभी स्कूलो के रिजर्व फंड जाँच करने के आदेश पारित किए। लेकिन अफ़सोस कि आज तक किसी भी स्कूल ने अपने रिकार्ड जिलाधकारी महोदय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किए है।
स्कूल प्रबंधक लगातार फ़ीस का दबाव बनाकर अभिभावकों को मानसिक प्रताड़ना देने के अलावा कोई ओर काम नही कर रहे है। जिस पर जिला प्रशासन को सख्त होते हुए ऐसे स्कूल संचालकों के ख़िलाफ़ कार्यवाही करनी चाहिए। जोकि बिना रिजर्व फंड की जाँच कराए किसी भी अभिभावक पर फ़ीस जमा करने का दबाव बना रहे है।
केंद्र, राज्य सरकार को अभिभावकों की जायज परेशानी का संज्ञान लेते हुए लॉकडाउन अवधि फ़ीस माफ़ी का निर्णय लेना चाहिए।