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बीमारियों की दस्तक के बीच अव्यवस्था से जूझता एम एम जी अस्पताल
चिकित्सकों का अभाव, मरीजों को दवाएं नहीं, आवश्यक जांच भी बाहर से

गाजियाबाद। बदलते मौसम के साथ कई तरह की बीमारियों ने दस्तक दे दी है। निजी चिकित्सकों से इलाज कराने में असमर्थ निम्न और निम्न मध्यम आय वर्ग के नागरिकों की भीड़ दिन निकलते ही जिला एम एम जी अस्पताल में लगनी शुरू हो जाती है जहाँ उन्हें भारी निराशा का सामना करना पड़ता है। पिछली सरकार में शहर विधायक के चिकित्सा राज्य मंत्री होने के बावजूद एम एम जी अस्पताल की व्यवस्था में सुधार नहीं हो पाया।
एम एम जी अस्पताल गाजियाबाद का सबसे पुराना सरकारी अस्पताल है जहाँ प्रतिदिन सैकडों की संख्या में ऐसे मरीज इलाज के लिए आते हैं जिनकी आर्थिक स्थिति निजी अस्पताल में महंगा इलाज कराने की नहीं है। इस वर्ग के लोग दिन निकलते ही बहुत बड़ी संख्या में यहाँ लाइन लगा देते हैं। लम्बी प्रतीक्षा के बाद जब मरीज खुद को या अपने परिजन को चिकित्सक को दिखाने पहुंचते हैं तो पता चलता है कि वहां उस रोग का विशेषज्ञ ही नहीं है। इसके अलावा अनेक तरह की पैथालाजी से सम्बंधित जांच भी मरीज को बिहर से कराने के लिए कह दिया जाता है। पैथालाजी जांच के लिए दर्जनों लैबोरेट्री अस्पताल के चारों तरफ खुली हुई हैं।
एम एम जी अस्पताल का यह हाल तब है जबकि पिछली भाजपा सरकार में गाजियाबाद विधायक अतुल गर्ग चिकित्सा राज्य मंत्री थे। इसके बावजूद अतुल गर्ग ने जिले की जनता के हित मे एम एम जी अस्पताल के लिये कोई काम नहीं किया। परिणाम यह है कि अस्पताल आज भी जरूरी सुविधाओं के लिए जूझ रहा है जिस कारण यहाँ प्रतिदिन पहुंचने वाले मरीजों को आज भी इलाज के लिए भटकना पड़ता है
अस्पताल के पास पर्याप्त चिकित्सक और स्टाफ भी नहीं है। कई गंभीर बीमारियों के लिए आपरेशन की सुविधा भी अस्पताल में नहीं है। जिन बीमारियों के आपरेशन यहाँ होते भी हैं उनके लिए भी अस्पताल में पैसे की मांग की जाती है। अस्पताल के बाहर कुकुरमुत्ते की तरह दवाइयों की दुकान और पैथोलॉजी लैब खुली हुई हैं। पैथालॉजी जांच बाहर से कराई जाती हैं और दवाइयां भी बाहर से खरीदने के लिए कहा जाता है। पैथालॉजी जांच और दवाओं की खरीद पर एक निश्चित कमीशन का खेल धड़ल्ले से चल रहा है। इन सभी बातों की लगातार शिकायत किये जाने के बावजूद व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो पाया है। गाजियाबाद सदर सीट से जीते विधायक अतुल गर्ग के प्रदेश सरकार में चिकित्सा राज्य मन्त्री बनने पर उम्मीद बंधी थी कि अब एम एम जी अस्पताल के हालात सुधरेंगे लेकिन सुधरने के बजाय अस्पताल की हालत बिगड़ती जा रही है। अब केवल यही आशा है कि प्रदेश के डिप्टी चीफ मिनिस्टर जो स्वास्थ्य मंत्री भी हैं किसी दिन आयें और इस अस्पताल की हालत को देखकर शायद इसमें आवश्यक सुधार का निर्देश दें।