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ओयो होटल है या अय्याशी के ठिकाने
जिला गाजियाबाद बना ओयो होटलों का हब,पुलिस प्रशासन क्यों नही ले रहा संचालकों के खिलाफ एक्शन,नियम और कानूनों को ताक पर रखकर संचालित हो रहे हैं ओयो होटल

सुभाष चंद आप अभी तक
गाजियाबाद। हॉट सिटी के नाम से मशहूर गािजयाबाद इन दिनों ओयो होटलों का शहर के नाम से मशहूर होने लगा। दिल्ली एनसीआर से सटा होने के कारण आसपास के जनपदों से लोग यहां आते हैं और अय्याशी कर लौट जाते हैं। हैरत का पहलू यह है कि इन होटलों पर कोई शिकंजा कसने वाला नही है। जबकि हाल ही में ओयो होटल के अंदर एक नाबालिग को हवस का शिकार बना डाला गया किंतु किसी की चींख वहां के स्टाफ ने नही सुनीं। शहर में इन दिनों नियम कानूनों को ताक पर रखकर गली मोहल्लों और प्रमुख जगहों पर होटल व्यवसाय की आड़ में अय्याशी के अड्डे खुलते जा रहे हैं। होटल वाले सब कुछ जानते हुए भी पाप कमा रहे हैं। इन दिनों बजरिया, नवयुग मार्केट, विजय नगर प्रताप विहार, वसुंधरा, वैशाली, इंदिरापुरम, खोडा, आरडीसी राजनगर, साहिबाबाद, लोनी के अलावा रिहायशी भवनों में ओयो होटल संचालित हो रहे हैं। बजरिया और लाइनपार तो ओयो होटलों का हब सा बन गया है, जबकि बजरिया पहले से जितने होटल हैं उन अधिकांश होटलों में सिर्फ अय्याशी ही होती है। होटल संचालक कमाई की खातिर जानबूझकर अय्याशी के लिए लोगों को एक-दो घंटे के लिए कमरा बुक करता है और मोटी कमाई के साथ समाज में व्यवहार पुरुष बने हुए हैं। जिले का भ्रमण यदि अफसर करें तो पता चलेगा के ओयो नाम के होटलों की बाढ़ सी आई हुई है। इनके बारे में कहा यह जाता है यह अपने ग्राहकों को एक-दो घंटे यहां तक ही नही बल्कि आधे घंटे के लिए भी कमरा बुक करते हैं। यह बात समझ से परे है की होटल का प्रबंध किन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है और उसका प्रयोग किस तरह से हो रहा है। आखिर जिला प्रशासन और पुलिस अपनी आंखें क्यों मंूदे बैठी है। इस ओयो ब्राड के होटलों पर क्यों छापेमारी नही हो रही है, यह सवाल जनमानस के अंदर है। लोगों का यहां तक कहना है कि इन होटलों के मालिकों के पास होटल संचालन का लाइसेंस भी नहीं है, लेकिन फिर भी चल रहे हैं। इससे साफ है कि भ्रष्टाचारियों की सरपरस्ती में यह सब कुछ हो रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के यह संज्ञान में लाना चाहिए कि उनकी ईमानदार छवि को यहां गाजियाबाद जनपद में पुलिस प्रशासन के बैठे कुछ अधिकारी धता बता रहे हैं। ऐसा भी नही हैं कि इन होटलों के बारे में जिला प्रशासन को नही पता है। जिस समय धर्मेन्द्र यादव ने एसएसपी का कार्यभार संभाला तो बजरिया के होटलों में दर्जनों महिला पुलिस और युवक युवतिया आपत्तिजनक स्थिति में मिले थे। तब बजरिया के होटल मालिक गाजियाबाद छोड़कर भाग गए थे मगर अब फिर वहीं अय्याशी इन होटलों में खुलेआम हो रही है। मजे की बात तो यह है कि बजरिया में होटलों के निकट ही पुलिस चौकी है।