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एक भी विधायक को मंत्री पद न मिलने से भाजपा में सन्नाटा
गाजियाबाद। लोनी विधानसभा क्षेत्र के विधायक नंदकिशोर गुर्जर को छोड़कर बाकी सभी 4 सीटों पर विधायकों ने पहले के मुकाबले अधिक मत प्राप्त किए थे जिसके बाद भाजपा नेताओं समेत विधायकों को भी उम्मीद थी कि जिले को इस बार कम से कम 2 मंत्री अवश्य मिलेंगे। विधायकों और भाजपा नेताओं की इस आशा पर तब तुषारापात हो गया जब किसी भी सदन का सदस्य होने के बावजूद बहुजन समाज पार्टी से भाजपा में आए नरेंद्र कश्यप को राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार की जिम्मेदारी दे दी गई।
गौरतलब है कि साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा इस बार रिकॉर्ड तोड़ वोटों से जीते हैं। उनकी जीत का आंकड़ा प्रदेश में सबसे अधिक है। जिन अतुल गर्ग का भारी विरोध हो रहा था वह भी पहले के मुकाबले अधिक वोटों से जीते। लाइनपार क्षेत्र में जहां कि भाजपा संगठन में महत्वपूर्ण पदों पर रहे केके शुक्ला भाजपा से विद्रोह कर बसवा से चुनाव लड़ रहे थे वहां भी अतुल गर्ग को काफी वोट मिले। मुरादनगर विधायक अजीत पाल त्यागी और मोदीनगर विधायक मंजू शिवाच भी पहले के मुकाबले अधिक वक्त मतों से जीते। हालांकि अजीत पाल त्यागी के जीत के मतों में बहुत मामूली बढ़ोतरी हुई। अकेले नंदकिशोर गुर्जर ऐसे विधायक रहे जिन्हें जीत के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा। इसके बावजूद जिले के पांचों विधायकों में से कोई भी मंत्री नहीं बन पाया, यहां तक की अतुल गर्ग का पत्ता ही साफ हो गया। मुरादनगर विधायक अजीत पाल त्यागी और साहिबाबाद विधायक सुनील शर्मा को लेकर भाजपा नेताओं की तरफ से तेज चर्चा चलाई गई थी कि दोनों को मंत्री पद मिल रहा है। विधायकों और उनके समर्थकों की आशाएं उस समय टूट गई जब जिले के किसी भी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया। यहां तक की पिछली सरकार में राज्य मंत्री के पद पर रहे अतुल गर्ग का मंत्री पद विश्वास छीन लिया गया। दूसरी तरफ अति पिछड़ा वर्ग की छप्पर फाड़ वोट जिस तरह भाजपा को मिली उसका लाभ नरेंद्र कश्यप को मिला। किसी भी सदन का सदस्य न होने के बावजूद उन्हें मंत्री बना दिया गया। नरेंद्र कश्यप को भाजपा ने भारी-भरकम जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव से पूर्व अति पिछड़ा वर्ग में भाजपा के जनाधार को और मजबूत करना होगा। इसी बात को ध्यान में रखते हुए उन्हें मंत्री पद सौंपा गया है।
भाजपा नेताओं में चर्चा है कि निकट भविष्य में जब भी मंत्रिमंडल का विस्तार होगा तब जिले के किसी विधायक को मंत्री पद मिल सकता है। हालांकि भाजपा के ही कुछ नेताओं का कहना है कि भाजपा संगठन में मजबूत स्थिति रखने वाले एमएलसी अश्वनी त्यागी मंत्रिमंडल विस्तार में बाजी मार सकते हैं। फिलहाल भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं में सन्नाटे की स्थिति है और वह इस बात पर कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं कि जिले के किसी भी विधायक को किन हालात में मंत्री पद नहीं मिल पाया।