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जिले की राजनीति में हलचल मचा सकते हैं चुनाव परिणाम

गाजियाबाद। विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने से पूर्व सभी राजनीतिक दलों में भारी उथल-पुथल मची थी। अब एक बार फिर माना जा रहा है कि चुनाव परिणाम चौंकाने वाले हो सकते हैं और एक बार फिर जिले की राजनीति में भारी उथल-पुथल हो सकती है।
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी और इसके पूर्ववर्ती संस्करण जनसंघ में अनुशासन अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता था। इसी कारण भाजपा नेतृत्व ने अपनी पार्टी के लिए कहा था कि एक पार्टी सबसे अलग। अब वर्ष 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से ही पार्टी का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है। भाजपा में अब दूसरे दलों से गए नेताओं की बड़ी संख्या है। अब भी विधानसभा चुनाव से पूर्व भाजपा में दूसरे दलों से कई लोग टूट कर गए थे। इनमें बसपा, सपा और रालोद तीनों ही दलों के लोग शामिल थे।
मतगणना अब काफी नजदीक है और यदि मतगणना के दौरान चुनाव परिणाम चौकानेवाले आते हैं तो यह बात तय है कि एक बार फिर दलबदल का दौर शुरू होगा। भाजपा यदि 5 वर्ष पूर्व की तरह जिले की सभी सीटों को जीत लेती है तो फेरबदल की बहुत अधिक आशा नहीं है लेकिन यदि परिणाम भाजपा के अनुरूप नहीं आते हैं तो ऐसे लोग जो चुनाव से पहले पार्टी छोड़कर भाजपा में गए थे वह एक बार फिर दोबारा से अपने दलों में वापस लौट सकते हैं। इसका बहुत बड़ा कारण यह है कि भाजपा में अब से पूर्व जितने लोग अपना दल छोड़ कर गए हैं उन्हें वह स्थान नहीं मिल पाया है जिसकी उम्मीद लेकर वह लोग भाजपा में गए थे। यह स्थिति ऐसी है कि चुनाव परिणाम यदि भाजपा के अनुरूप नहीं आते हैं तो जिले की राजनीति में एक बार फिर हलचल हो सकती है।
दलबदल का शिकार इस बार भाजपा भी जमकर हुई है। चुनाव के दौरान भाजपा के कई नेताओं ने पार्टी से किनारा कर लिया था। सबसे बड़ा झटका के के शुक्ला के रूप में लगा था जो भाजपा के पश्चिमी क्षेत्र अध्यक्ष भी रहे थे और वर्तमान में भी पार्टी में बड़ा सांगठनिक पद संभाले हुए थे। अतुल गर्ग के टिकट के विरोध में उन्होंने भाजपा छोड़कर बसपा का दामन थाम लिया था और वह बसपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव भी लड़े हैं । बसपा में के के शुक्ला को लेकर भी चर्चा है कि वह कभी भी बसपा छोड़कर दोबारा भाजपा में जा सकते हैं।