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कैमरे बंद होना, कहीं कुछ तो है?
सीसीटीवी कैमरा और पैरामिलिट्री फोर्स की सख्त निगरानी में रखी गई जिले की पांच और आंशिक धौलाना विधानसभा क्षेत्र की ईवीएम पर 60 सीसीटीवी कैमरों की सतत निगरानी चल रही है। जिस स्थल पर ईवीएम रखी गई है वहां चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के अभिकर्ता भी दिन-रात निगरानी रख रहे हैं जिन्हें जिला प्रशासन ने अधिकृत किया है। जिस जगह अधिकृत अभिकर्ता मौजूद हैं वहां लगातार डिस्प्ले हो रहा है जो ईवीएम की सुरक्षा को प्रदर्शित कर रहा है। गठबंधन प्रत्याशी मदन भैया और अमरपाल शर्मा ने चुनाव आयोग से शिकायत की है कि 19 फरवरी की शाम 5 बजे के बाद लगभग एक घंटा और देर शाम 9:45 बजे के बाद 11:30 बजे तक वह डिस्प्ले बंद रहा जिस पर ईवीएम का प्रदर्शन हो रहा था। इस मामले मैं प्रशासन का कहना है कि सीसीटीवी कैमरों का डिस्प्ले कुछ तकनीकी कारणों से रोका गया था। इस मामले में मदन भैया और अमरपाल शर्मा ने चुनाव आयोग को लिखे पत्र में कहा है कि यह मामला चुनाव आयोग के निर्देशों का खुला उल्लंघन है। आयोग के निर्देश है कि सीसीटीवी कैमरों की निगरानी का डिस्प्ले निरंतर ढंग से 24 घंटे होता रहना चाहिए। दोनों प्रत्याशियों ने किसी गड़बड़ी की आशंका व्यक्त करते हुए मामले की जांच कराने के निर्देश दिए हैं। दूसरी तरफ मदन भैया के द्वारा प्रशासन की अनुमति से वहां मौजूद अभिकर्ता राहुल चौधरी का कहना है कि प्रशासन को यदि कुछ समय के लिए तकनीकी कारणों से डिस्प्ले स्थगित करना था तो भी वहां मौजूद राजनीतिक दलों के अभिकर्ता ओं को यह जानकारी दी जानी चाहिए थी क्योंकि जो लोग वहां मौजूद हैं उन्हें प्रशासन ने ही अधिकृत किया है। उन लोगों को यदि जानकारी ही नहीं दी जाती है तो उनका वहां मौजूद रहने का क्या लाभ है। उनकी जानकारी के बिना डिस्प्ले स्थगित किया जाना संदेह पैदा कर रहा है कि कहीं कुछ ऐसी बात है जिसे प्रशासन छिपाने का प्रयास कर रहा है। हो सकता है ऐसा ना हो लेकिन यह महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने से पहले राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को विश्वास में लिया जाना अत्यंत आवश्यक था।हालांकि जिला प्रशासन ने अपनी तरफ से दो बार ईवीएम सुरक्षा का डिस्प्ले बंद होने की पूरी सफाई दी है लेकिन कई पहलू ऐसे हैं जो उन सवालों का जवाब मांग रहे हैं जो विपक्षी दलों की तरफ से उठाए गए हैं। सबसे पहला सवाल यही है कि चुनाव आयोग का स्पष्ट निर्देश था कि एवं सुरक्षा का डिस्प्ले 24 घंटे लगातार चलता रहना चाहिए। इसके बावजूद उस चुनाव आयोग के निर्देशों का उल्लंघन किया गया जो आदर्श आचार संहिता के दौरान सुप्रीम पावर की स्थिति रखता है।अब सवाल यही है कि क्या चुनाव आयोग प्रशासन की इस लापरवाही पर कोई कार्रवाई करता है अथवा नहीं।