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बीरबल की खिचड़ी बन गई हैं इलेक्ट्रिक बसें
कहावत है कि एक बार बीरबल कई दिन तक दरबार नहीं पहुंचे। बादशाह अकबर के निर्देश पर दरबार के कर्मचारी जब उन्हें देखने गए तो देखा कि एक ऊंचे बांस पर उन्होंने एक हांडी टंगी हुई थी और नीचे आग जल रही थी। पूछने पर बीरबल ने बताया कि हांडी में खिचड़ी पक रही है। हांडी तक आग पहुंच नहीं रही थी खिचड़ी बनी नहीं थी। किसी काम को देरी होती है उसके लिए तभी से कहावत है कि बीरबल की खिचड़ी हो गई है। यही हाल जिला और महानगर में इलेक्ट्रिक बसों की हो गई है। लगभग 1 वर्ष पूर्व जिले में सौ इलेक्ट्रिक बस चलाने की घोषणा की गई थी। इसके बाद घोषणा की गई कि 20 बसें चलाई जाएंगी। इन बसों को घटाकर फिर 15 कर दिया गया। यह 15 बसें आज से चलनी थी। 2 दिन पूर्व जिन शहरों में इलेक्ट्रिक बसें चलने की घोषणा की गई उनमें गाजियाबाद का नाम ही नहीं था। अब आज पता चला है कि विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने से पूर्व आनन-फानन में कुछ कर दिया जाए। इलेक्ट्रिक बसों की योजना को आगे बढ़ाने के लिए आज शाम तीन बसों को चलाने की योजना बनाई गई है। प्रशासन की तरफ से बताया गया है कि तीन इलेक्ट्रिक बसों को जिला मुख्यालय से केंद्रीय मंत्री वीके सिंह और राज्यसभा सदस्य अनिल अग्रवाल हरी झंडी दिखाकर ई बस सेवा का शुभारंभ करेंगे। यह तीन बसें आज गाजियाबाद पहुंचनी हैं। दूसरी तरफ जानकारी यह है कि इन बसों के लिए अभी कंडक्टर की नियुक्ति प्रक्रिया भी पूरी नहीं हुई है। इन तीन बसों को चलाने का आज औपचारिक एलान कर दिया जाएगा लेकिन अभी यह पता नहीं है कि यह बसें विधिवत ढंग से सड़कों पर चलेंगी अथवा नहीं। अधिकारियों का कहना है कि फिलहाल तीन बसों से शुरू होने वाली इस सेवा के लिए काफिले में जैसे-जैसे बसें उपलब्ध होती जाएगी वैसे-वैसे उन्हें रूट पर उतार दिया जाएगा। है कि अप्रैल तक शहर में 50 इलेक्ट्रिक बसें चलनी शुरू हो जाएंगी। जिस तरह इलेक्ट्रिक बसें चलाने की योजना लगातार आज से कल कल से परसों होती रही है उसे देखते हुए यही लग रहा है कि इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की योजना बीरबल की खिचड़ी बन गई है जो पता नहीं कब जा कर तैयार होगी। बीरबल की खिचड़ी की तरह से यह अकेली योजना नहीं है जो कि घिसट घिसटकर चल रही है। दूसरी तरफ महानगर अव्यवस्थित यातायात का बड़ा केंद्र बन गया है। सड़कों पर आंतरिक की यातायात व्यवस्था के लिए चलने वाले ऑटो रिक्शा और ई रिक्शा का संचालन इतना अव्यवस्थित है कि महानगर में कई जगहों पर ऑटो रिक्शा और ई रिक्शा पूरी सड़क को घेर कर खड़े रहते हैं जहां से यातायात लगातार अवरुद्ध होता रहता है। कहने के लिए तो यातायात को व्यवस्थित करने वाली यातायात पुलिस है लेकिन फिर भी गाजियाबाद में अनेक स्थानों पर जाम पॉइंट बन गए हैं जहां सबसे अधिक परेशानी पैदल चलने वालों को होती है। ऑटो चालक और ई रिक्शा चालक किसी तरह का भी नियम ठीक से पालन नहीं करते परिणाम यह है कि सड़कों पर लगातार हादसे होते रहते हैं।