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तो क्या ब्राह्मण भाजपा से नाराज हैं!
विधानसभा चुनाव से पूर्व प्रदेश में भाजपा ने 13% ब्राह्मण आबादी को साधने के लिए नया अभियान चलाने का फैसला किया है जिसमें नई समिति बनाई गई है। समिति में राज्य के एकमात्र ब्राह्मण मंत्री विवादों में घिरे अजय कुमार मिश्रा उर्फ टेनी को शामिल नहीं किया गया है। गौरतलब है कि ट्रेनिंग के बेटे आशीष मिश्रा लखीमपुर खीरी मामले में मुख्य आरोपी है और जेल में है। सूत्रों के अनुसार पार्टी ने अपने कैडर से फीडबैक लेने के बाद ब्राह्मण समुदाय को लुभाने के उद्देश्य से कार्यक्रम तैयार करने के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया है। भाजपा के नेतृत्व को यूपी कैडर से जानकारी मिली थी कि यूपी के ब्राह्मणों में उचित प्रतिनिधित्व न मिलने और ब्राह्मणों के ऊपर हुए हमलों को लेकर कोई नाराजगी बनी हुई है। प्रदेश में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या 13 फ़ीसदी है। इसलिए आज से यह एक बड़ा वोट बैंक है जिसे अपने पाले में करने की कोशिशों में भाजपा लग गई है। हालांकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिकांश ब्राह्मण मतदाता भाजपा के साथ हैं। पूर्वांचल में स्थिति थोड़ी अलग है जहां ठाकुरों और ब्राह्मणों के बीच चलते रहने वाली विवाद के कारण भाजपा से ब्राह्मणों में नाराजगी है। हालांकि पार्टी नेतृत्व का कहना है कि यह ब्राह्मणों के बीच यह बताने के लिए शुरू की गई मुहिम का हिस्सा है कि भाजपा सरकार ने ब्राह्मणों के लिए कितना काम किया है। बप्पा सूत्रों के अनुसार पार्टी राज्य भर में ब्राह्मणों के बीच छोटी-छोटी बैठक के करेगी। इस तरह की बैठक पूरे प्रदेश में की जाएंगी। भाजपा पर आरोप लगते रहे हैं कि लखीमपुर खीरी कांड में अजय मिश्र पर कार्रवाई सिर्फ इसलिए नहीं कर रही है कि वह ब्राह्मण वर्ग को नाराज नहीं करना चाहती। यह अलग बात है कि भाजपा ने अपनी इस मुहिम में भी अजय मिश्रा को एकदम अलग रखा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के ब्राह्मणों का कहना है कि इस क्षेत्र में ब्राह्मणों में भाजपा को लेकर कोई नाराजगी नहीं है। ब्राह्मण मतदाता भाजपा से अलग केवल वह दूसरे दल को वोट करेगा जहां किसी मजबूत ब्राह्मण नेता को दूसरे दल से उतारा जाएगा।फिलहाल चुनाव अभियान के सिलसिले में भाजपा बाकी दलों पर भारी पड़ रही है। अकेले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तर प्रदेश के लगातार दौरे कर रहे हैं। आज भी प्रधान मंत्री कानपुर में मौजूद रहेंगे। जनवरी के पहले सप्ताह में प्रधानमंत्री मेरठ पहुंच रहे हैं जहां वे खेल विश्वविद्यालय का उद्घाटन करेंगे। चुनावी अधिसूचना से पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन और शिलान्यास की झड़ी लगाई हुई है क्योंकि अधिसूचना जारी होने के बाद कुछ ऐसा नहीं किया जा सकेगा।