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पवित्र पौष मास का महत्व पौष में पितृदोष, कालसर्प दोष से मुक्ति

मुंबई (कांचन समर्थ) : हिन्दू शास्त्रानुसार विक्रम संवत में दसवां महीना पौष का महीना होता है। भारतीय महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित हैं। दरअसल जिस महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा जिस नक्षत्र में होता है उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के आधार पर रखा जाता है। पौष मास की पूर्णिमा को चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है इसलिए इस मास को पौष का मास कहा जाता है।
सिरोही राजस्थान से अखिल विश्व कामधेनु सेवक ज्योतिषाचार्य अंकित रावल पौष का मास महत्व का विश्लेषण कुछ ऐसें करते है, इस पवित्र मास में प्रमुखता से सूर्य देव की होती है उपासना। जैसे की पौराणिक ग्रंथों की मान्यता अनुसार पौष मास में सूर्य देव की उपासना उनके भग नाम से कि जाती है। पौष मास के भग नाम सूर्य को ईश्वर का ही स्वरूप माना गया है। पौष मास में सूर्य को अर्ध्य देने व इनका उपवास रखने का विशेष महत्व माना गया है। पौष मास के प्रत्येक रविवार व्रत व उपवास रखने और तिल चावल की खिचड़ी का भोग लगाने से मनुष्य तेजस्वी बनता है।
पौष महीने के प्रमुख त्योहार ।
पौष का संपूर्ण महीना ही धार्मिक दृष्टि से बहुत पवित्र तथा महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इसमें कुछ प्रमुख व्रत व त्यौहार आते हैं। पौष महीने दो एकादाशियां आएंगी, जो पहली कृष्ण पक्ष को सफला एकादशी और दूसरी शुक्ल पक्ष को पुत्रदा एकादशी। पौष अमावस्या और पौष पूर्णिमा का भी बहुत अधिक महत्व माना जाता है। इस दिन को पितृदोष, कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिये भी इस दिन उपवास रखने के साथ-साथ विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
पौष मास में दिए गए दान का विशेष महत्व।
इस मौसम में अधिक ठंड रहने के कारण यह महीना पूरा ठंडी से भरा रहता है। इस समय कई ऐसे जीव है, जो मनुष्य के जीवन से जुड़े हुए हैं जिसमें सर्वप्रथम नाम आता है, गौ माता का। हमारी गौ माता पृथ्वी पर मनुष्य से पहले प्रकट हुई है और भारतीय सनातन परंपरागत उसे कामधेनु देवी के नाम से भी जाना जाता है और हिन्दू इसे मां के नाम से संबोधित करता है । पौष महीने में गौमाता की निस्वार्थ सेवा की जाए तो मनुष्य के जीवन के सारे दुखों का नाश हो जाता है और उसे अपार यश कीर्ति प्राप्त होती है। इस मास में गौ माता को घी में डुबोकर गुड़ तथा हरी घास खिलाने से कई अनेक फायदे मनुष्य को प्राप्त होता है और देव कृपा हमेशा उस पर बनी रहती है। अपने अड़ोस-पड़ोस की गोशाला में जाकर हो सकती है उतनी गोसेवा करें। यह पवित्र पौष मास प्रारंभ होने पर आपको और आपके पूरे परिवार को अनंत शुभकामनाएं । जय गोमाता जय गोपाल ।।